Berlin Movie Review: एक अनोखी जासूसी फिल्म

January 16, 2020

एक अनोखी जासूसी फिल्म जो बॉलीवुड के चलन से हटकर है.

1993 की पृष्ठभूमि में आधारित

"Berlin" की कहानी 1993 में सेट की गई है, जब एक रूसी राष्ट्रपति भारत के दौरे पर आते हैं। एक बधिर और मूक व्यक्ति पर विदेशी जासूसी का आरोप लगने से कहानी में एक गहरा रहस्य जुड़ता है।

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शांत और सूक्ष्म जासूसी फिल्म

जहां बॉलीवुड की अन्य स्पाई फिल्में बड़े एक्शन और संवादों पर केंद्रित होती हैं, "Berlin" बिना गानों और नाटकीयता के एक साधारण yet gripping जासूसी कहानी पेश करती है।

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अभिनेताओं का शानदार अभिनय

इश्वाक सिंह, अपारशक्ति खुराना और राहुल बोस ने अपने किरदारों को बेहतरीन तरीके से निभाया है। फिल्म में इनकी परफॉर्मेंस ने दर्शकों को बांधे रखा।

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अतुल सभरवाल का निर्देशन

फिल्म "Berlin" का निर्देशन अतुल सभरवाल ने किया है। उनका ध्यान फिल्म के सूक्ष्म तत्वों पर था, जिससे यह एक गहरी और सोच-समझ कर बनाई गई फिल्म बन पाई।

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जासूसी के मानवीय पहलू

फिल्म दिखाती है कि जासूस भी गलतियाँ कर सकते हैं। इसमें बताया गया है कि जासूसी के निर्णय हमेशा सही नहीं होते और उसमें भी मानवीय असफलताएं हो सकती हैं।

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फिल्म का संदेश

"Berlin Movie Review" के अनुसार, यह फिल्म उन जासूसों की कहानी है जो हीरो नहीं हैं, लेकिन उनकी मानवीय कमजोरियाँ और संघर्ष दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती हैं।

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एक अनोखी जासूसी फिल्म

"Berlin" उन लोगों के लिए है जो जासूसी फिल्मों में एक नए दृष्टिकोण की तलाश में हैं। यह फिल्म Zee5 पर जरूर देखी जानी चाहिए, खासकर गहराई और सशक्त निर्देशन के प्रेमियों के लिए।

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