14th December 2024

Nithari Killings: Sector 36 True Story और कोर्ट का फैसला

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Nithari killings और इसके अपराधी मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली का नाम सुनते ही 2005-2006 के उस समय की यादें ताजा हो जाती हैं, जब नोएडा के इस केस ने पूरे देश को हिला दिया था। यह केस न केवल हत्या, बलात्कार, और नरभक्षण की क्रूरता का प्रतीक है, बल्कि इसे ‘सेक्टर 36’ (Sector 36 true story) फिल्म का आधार भी माना जाता है।

Nithari Killings का आरंभ

निठारी केस (Nithari case) की शुरुआत 29 दिसंबर 2006 को हुई, जब पंधेर के घर के पीछे एक नाली से आठ बच्चों के कंकाल मिले। पुलिस जांच में यह खुलासा हुआ कि पंधेर और उसका नौकर सुरेंद्र कोली पिछले दो सालों से इस क्षेत्र से बच्चों और महिलाओं को अगवा कर उनकी हत्या कर रहे थे। यह मामला 2005-2006 में सामने आया, जब दो स्थानीय निवासियों ने पुलिस को बच्चों के गायब होने के बारे में सूचना दी। पुलिस द्वारा खुदाई करने पर और भी कंकाल मिले, जिससे इस हत्याकांड की भयावहता का पता चला।

मामले की जांच और खुलासे

2007 में जांचकर्ताओं ने बाल अश्लील साहित्य और मानव अंगों की तस्करी का संदेह जताया। यह भी कहा गया कि सुरेंद्र कोली नरभक्षण करता था और उसने कई बच्चों के शरीर के अंगों का सेवन किया था। कोली ने पुलिस के सामने हत्या और बलात्कार की बातें कबूल कीं। इसके अलावा, यह भी बताया गया कि उसने बच्चों को मारने के बाद उनके शरीर के अंगों को अलग किया। मोनिंदर सिंह पंधेर को भी इन जघन्य अपराधों में शामिल माना गया।

सेक्टर 36 की सच्ची कहानी

सेक्टर 36 (Sector 36 true story) फिल्म nithari killings से प्रेरित है, जिसमें निठारी केस के घटनाक्रम और इसके अपराधियों की क्रूरता को दिखाया गया है। इस हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया और समाज में व्याप्त असमानता और अपराध के प्रति हमारी नजरों को और अधिक गंभीर बना दिया। निठारी केस (Nithari case) आज भी एक काले अध्याय के रूप में जाना जाता है।

2009 का निर्णय: मौत की सज़ा

इस मामले में सुरेंद्र कोली और मोनिंदर पंधेर को फरवरी 2009 में सीबीआई कोर्ट ने दोषी ठहराया और उन्हें मौत की सजा दी। कोली ने अदालत में कबूल किया कि उसने बच्चों की हत्या की थी और उनके शरीर के अंगों का सेवन किया था। यह मामला अदालत द्वारा “रेयरेस्ट ऑफ द रेयर” मामलों में से एक माना गया, जिस कारण दोनों को मौत की सज़ा सुनाई गई।

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2014-2015: मर्सी पिटीशन और फैसले में बदलाव

2014 में दोनों दोषियों ने मर्सी पिटीशन दाखिल की, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खारिज कर दिया। हालांकि, कोली की मौत की सज़ा को 2015 में उम्रकैद में बदल दिया गया। इसी बीच, मोनिंदर सिंह पंधेर की भी सज़ा पर पुनर्विचार किया गया और उसे भी कुछ मामलों में राहत दी गई।

2023: बरी किए गए अभियुक्त

हालांकि, इस केस में हाल ही में 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए दोनों आरोपियों को बरी कर दिया। इस फैसले ने लोगों में कई सवाल खड़े कर दिए, क्योंकि इतने गंभीर अपराधों के लिए अदालत से बरी होना सभी के लिए हैरान करने वाला था।

न्याय और सवाल

निठारी केस (Nithari case) और सेक्टर 36 (Sector 36 true story) की कहानी न केवल अपराध की क्रूरता को दर्शाती है, बल्कि यह सवाल भी खड़े करती है कि क्या न्याय प्रणाली ने सही निर्णय लिया। यह केस हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या समाज और कानून ऐसे मामलों में पर्याप्त कदम उठा रहा है, ताकि भविष्य में कोई और nithari killings न हो सके।

समय बीतने के बाद भी nithari killings की भयानक सच्चाई लोगों के मन में एक गहरी छाप छोड़ चुकी है।

Manoj Makwana

Manoj Makwana

Manoj Makwana from Gujarat with 2+ years of experience in digital marketing. Skilled in SEO, PPC, social media, and more, specializing in ecommerce solutions to drive business growth and online visibility.

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