Sookshmadarshini Review: मलयालम सिनेमा में मनोवैज्ञानिक थ्रिलर फिल्मों की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, लेकिन अधिकतर फिल्में पुलिस जांच की कहानियों पर निर्भर होती हैं। ऐसे में Sookshmadarshini एक अलग और ताजा दृष्टिकोण के साथ दर्शकों के सामने आती है। यह फिल्म अपने परिवार-केंद्रित कथानक, सटीक रूप से लिखे गए पात्रों और मनोरंजक कहानी के लिए सराही जा रही है।
Sookshmadarshini Movie की कहानी का सारांश
Sookshmadarshini जिथिन एमसी की दूसरी निर्देशित फिल्म है, जो 2018 की सराही गई फिल्म ‘नॉनसेंस’ के बाद आई है। फिल्म की कहानी मैनुएल (बेसिल जोसेफ) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी बीमार मां के साथ अपने पुराने घर में वापस आता है। वहीं, पड़ोस में रहने वाली प्रिया (नज़रिया नाज़िम) एक खुशमिजाज और शिक्षित महिला है, जो अपनी दिनचर्या की एकरूपता को तोड़ने के लिए नौकरी की तलाश में है।
प्रिया की खासियत है उसकी बारीकियों को देखने की क्षमता, जो उसकी रसोई में काम करने के दौरान स्पष्ट नजर आती है। मैनुएल के पड़ोस में आने के बाद, वह उसकी गतिविधियों को अपनी खिड़की से देखती है। लेकिन जब एक दिन मैनुएल की मां लापता हो जाती है, तो प्रिया का ‘निजी जासूस’ वाला पक्ष सक्रिय हो जाता है।
स्थानीय स्वाद के साथ नई कहानी
‘Sookshmadarshini Movie की कहानी एक छोटे से गांव की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जहां लोग अपने पड़ोसियों के मामलों में जरूरत से ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं। यह फिल्म हॉलीवुड की प्रसिद्ध फिल्म ‘रियर विंडो‘ और नेटफ्लिक्स सीरीज ‘द वुमन इन द हाउस…’ जैसी कहानियों से प्रेरित होते हुए भी अपनी स्थानीयता को बनाए रखती है।
फिल्म के लेखक लिबिन टीबी और अथुल रामचंद्रन ने इस साधारण सी परिस्थिति को बड़े ही दिलचस्प तरीके से एक अच्छे कहानी में ढाल दिया है।
कलाकारों का प्रदर्शन
नज़रिया नाज़िम ने इस फिल्म के जरिए मलयालम सिनेमा में जोरदार वापसी की है। हालांकि उनका चुलबुला अंदाज कुछ गंभीर दृश्यों में थोड़ा बाधक लगता है, लेकिन उनका अभिनय फिल्म की जान है।
वहीं, बेसिल जोसेफ ने इस फिल्म में अपने किरदार से खुद को दोहराने के खतरे से बचाते हुए कुछ नया करने की कोशिश की है। उनका किरदार ‘जय जय जय जय हे’ जैसी पिछली फिल्मों से बिल्कुल अलग है।
तकनीकी पक्ष
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर क्रिस्टो जेवियर ने तैयार किया है, जो कहानी के प्रभाव को और बढ़ाता है। फिल्म की अनोखी एडिटिंग चमन चक्को ने की है और सिनेमैटोग्राफी शरण वेलायुधन नायर के निर्देशन में शानदार है। ये तकनीकी पहलू फिल्म को और खास बनाते हैं।
Sookshmadarshini movie की खासियत
‘Sookshmadarshini movie’ की सबसे बड़ी खूबी है इसका स्टीरियोटाइप्स को तोड़ना। प्रिया का किरदार साधारण लेकिन मजबूत इच्छाशक्ति का परिचय देता है। वह पारंपरिक गृहणी की छवि को तोड़ते हुए अपनी स्वतंत्रता और निर्णय क्षमता को दर्शाती है।
फिल्म के अन्य सहायक पात्र, जैसे कि प्रिया की पड़ोसी सुलु (अखिला भारगवन) और अस्मा (पूजा मोहनराज), भी कहानी में जान डालते हैं। प्रिया का पति (दीपक परम्बोल) पृष्ठभूमि में रहते हुए भी कहानी को संतुलित करता है।
निष्कर्ष
‘Sookshmadarshini review’ के अनुसार, यह फिल्म दर्शकों को एक नई और ताजगी भरी कहानी पेश करती है। इसकी अनूठी कहानी, सशक्त अभिनय और शानदार तकनीकी पक्ष इसे पारिवारिक दर्शकों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनाते हैं।
यदि आप एक ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं जो स्टीरियोटाइप्स को तोड़े और मनोरंजन के साथ सोचने पर मजबूर करे, तो Sookshmadarshini आपके लिए एक आदर्श विकल्प है।
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