भारतीय शेयर बाजार की निगरानी संस्था SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने हाल ही में फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग में कुछ महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है। ये SEBI new rules 20 नवंबर से प्रभावी होंगे, और इनका उद्देश्य बाजार में स्थिरता और निवेशकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। नए नियमों में कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं जो विशेष रूप से डेरिवेटिव्स के बाजार को प्रभावित करेंगे।
SEBI New Rules: डेरिवेटिव्स के लिए साप्ताहिक एक्सपायरी
SEBI new rules के अंतर्गत अब डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स की साप्ताहिक एक्सपायरी की जाएगी। इससे पहले, कुछ स्टॉक एक्सचेंज हर दिन एक्सपायरी करते थे, लेकिन अब प्रत्येक एक्सचेंज को केवल एक इंडेक्स पर साप्ताहिक एक्सपायरी का अधिकार होगा। इसका मुख्य उद्देश्य डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में अत्यधिक सट्टेबाजी को रोकना है, विशेष रूप से उन दिनों जब ऑप्शन प्रीमियम कम होते हैं और बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव होता है।
कॉन्ट्रैक्ट साइज में वृद्धि
नए नियमों के तहत, SEBI ने डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स के साइज को भी तीन गुना करने का निर्णय लिया है। वर्तमान में कॉन्ट्रैक्ट साइज ₹5 से ₹10 लाख के बीच होते हैं, लेकिन 20 नवंबर से यह साइज बढ़ाकर ₹15 लाख कर दिया जाएगा, और इसे ₹15 लाख से ₹20 लाख के बीच रखा जाएगा। SEBI new rules के अनुसार, यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि बाजार की मौजूदा स्थिति और जोखिम को देखते हुए उचित जोखिम प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके।
एक्सट्रीम लॉस मार्जिन (ELM) में वृद्धि
सेबी ने डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के दौरान अत्यधिक उतार-चढ़ाव को देखते हुए ELM (Extreme Loss Margin) में भी वृद्धि की है। नए नियमों के अनुसार, प्रत्येक सप्ताह के एक्सपायरी वाले कॉन्ट्रैक्ट्स पर 2% अतिरिक्त ELM लगाया जाएगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि बाजार में सट्टेबाजी को नियंत्रित किया जा सके और निवेशकों को अत्यधिक नुकसान से बचाया जा सके।
SEBI New Rules: ऑप्शन प्रीमियम की अग्रिम वसूली
एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब ऑप्शन खरीदारों से ट्रेडिंग के दौरान ऑप्शन प्रीमियम की अग्रिम वसूली की जाएगी। SEBI new rules के अनुसार, यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि बाजार में अतिरिक्त लिवरेज से बचा जा सके और निवेशक अपनी जमा राशि से अधिक जोखिम न लें।
कैलेंडर स्प्रेड में बदलाव
SEBI ने कैलेंडर स्प्रेड के लाभ को भी समाप्त कर दिया है। नए नियमों के अनुसार, एक्सपायरी वाले दिन कोई भी निवेशक अपने विभिन्न एक्सपायरी वाले कॉन्ट्रैक्ट्स को ऑफसेट नहीं कर सकेगा। इसका मुख्य कारण यह है कि एक्सपायरी वाले दिन का कॉन्ट्रैक्ट भविष्य के कॉन्ट्रैक्ट्स से अलग तरीके से काम करता है और इसका मूल्य भी भिन्न होता है।
SEBI New Rules: इंट्राडे पोज़िशन लिमिट्स की निगरानी
SEBI ने इंट्राडे पोज़िशन लिमिट्स की निगरानी को भी कड़ा कर दिया है। नए नियमों के तहत, स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन को हर दिन कम से कम चार बार इन पोज़िशन लिमिट्स की निगरानी करनी होगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निवेशक अपनी सीमा से बाहर जाकर ट्रेडिंग न करें और बाजार में स्थिरता बनी रहे।
निष्कर्ष
SEBI new rules का उद्देश्य डेरिवेटिव्स बाजार में पारदर्शिता और स्थिरता को बढ़ावा देना है। नए नियमों से न केवल अत्यधिक सट्टेबाजी पर अंकुश लगेगा, बल्कि निवेशकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। जैसे-जैसे बाजार बढ़ रहा है, सेबी के ये कदम बाजार में अनुशासन और जोखिम प्रबंधन को और भी मजबूत करेंगे।
SEBI new rules के लागू होने के बाद निवेशकों और ट्रेडर्स को इन बदलावों का पालन करना होगा और अपने ट्रेडिंग रणनीतियों को नए नियमों के अनुसार ढालना होगा। यह बाजार के सभी प्रतिभागियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और उम्मीद की जा रही है कि ये बदलाव भारतीय शेयर बाजार को और भी स्थिर और सुरक्षित बनाएंगे।