8th November 2024

1 अक्टूबर से TDS Payment के नियमों में बदलाव: जानें नए नियम

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TDS payment new rules

1 अक्टूबर 2024 से TDS payment के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार ने नियोक्ताओं को बड़ी राहत देते हुए टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) जमा करने के नियमों को सरल बनाया है। इस बदलाव के तहत कंपनियों को अपने कर्मचारियों की सैलरी से काटे गए TDS को जमा करने के लिए अधिक समय दिया जाएगा। यह कदम नियोक्ताओं के लिए वित्तीय प्रबंधन को सरल बनाएगा और उन्हें सरकार को TDS जमा करने में अतिरिक्त समय प्रदान करेगा।

TDS क्या है?

TDS (Tax Deducted at Source) एक ऐसा कर है जो नियोक्ता अपने कर्मचारियों की सैलरी से काटकर सरकार को जमा करते हैं। आयकर अधिनियम के अनुसार, नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों की सैलरी से निर्धारित स्लैब रेट के अनुसार TDS काटना होता है। सामान्य तौर पर, TDS जमा करने की अंतिम तिथि प्रत्येक महीने की 7 तारीख होती है, जो कर्मचारी की सैलरी से TDS काटने के महीने के बाद की होती है।

1 अक्टूबर से क्या बदलाव होंगे?

1 अक्टूबर 2024 से TDS payment के नियमों में बदलाव लागू होने के बाद नियोक्ताओं को TDS जमा करने के लिए अधिक समय मिलेगा। पहले, कंपनियों को TDS जमा करने के लिए 60 दिन का समय दिया जाता था, लेकिन नए नियमों के अनुसार, अब नियोक्ता TDS रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा तक TDS जमा कर सकेंगे। इस नए बदलाव से नियोक्ताओं को लगभग 20 दिनों की अतिरिक्त समयावधि मिलेगी।

यह बदलाव नियोक्ताओं को TDS payment के प्रबंधन में अधिक लचीलापन प्रदान करेगा और उन्हें अपने वित्तीय प्रबंधन को सुचारू रूप से संचालित करने में मदद करेगा। अब नियोक्ता TDS जमा करने की देरी से बच सकते हैं और इसके लिए लगाए जाने वाले जुर्माने से भी बच सकते हैं।

TDS payment new rules

TDS Payment का महत्व

TDS payment का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर सही समय पर और सही मात्रा में सरकार को जमा किया जाए। नियोक्ताओं द्वारा TDS काटा जाता है और इसे सरकार को जमा किया जाता है, ताकि कर्मचारी कर दायित्वों से मुक्त रहें। यह एक पूर्वनिर्धारित प्रक्रिया है, जिससे कर का भुगतान चरणबद्ध तरीके से हो जाता है।

क्या होता है अगर TDS जमा नहीं किया गया?

अगर नियोक्ता अपने कर्मचारियों की सैलरी से TDS काट लेते हैं लेकिन इसे सरकार को समय पर जमा नहीं करते, तो कर्मचारियों के लिए यह बड़ी समस्या बन सकती है। ऐसे मामलों में, कर्मचारी TDS credit का दावा नहीं कर सकते, यानी उन्हें वह टैक्स फिर से भरना पड़ सकता है, जो पहले ही उनकी सैलरी से काट लिया गया था। हालांकि, आयकर अधिनियम की धारा 205 के तहत, अगर कर्मचारी यह साबित कर देते हैं कि उनके वेतन से TDS काटा गया है, तो उन्हें डबल टैक्सेशन से बचाया जा सकता है।

कर्मचारी अपने TDS credit का दावा करने के लिए आयकर विभाग को प्रमाण प्रस्तुत कर सकते हैं, जिसमें यह साबित किया जा सके कि उनके वेतन से TDS काटा गया था।

देरी से TDS जमा करने पर जुर्माना

हालांकि नए नियम नियोक्ताओं को TDS payment के लिए अधिक समय दे रहे हैं, लेकिन अगर किसी नियोक्ता ने निर्धारित तिथि तक TDS जमा नहीं किया, तो आयकर विभाग कंपनी को नोटिस जारी कर सकता है। देरी से TDS जमा करने पर कंपनी को जुर्माना भरना पड़ सकता है और कानूनी कार्यवाही का सामना भी करना पड़ सकता है।

इसलिए, यह नियोक्ताओं की जिम्मेदारी है कि वे निर्धारित समय सीमा के भीतर TDS जमा करें ताकि किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई और जुर्माने से बचा जा सके।

कंपनियों के लिए लाभ

यह नया बदलाव नियोक्ताओं के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है। TDS payment के नियमों में यह ढील कंपनियों को समय पर TDS जमा करने में सहायता करेगी और उनके वित्तीय दबाव को भी कम करेगी। इसके साथ ही, कंपनियों को TDS रिटर्न दाखिल करने के लिए भी अधिक समय मिलेगा, जिससे वे देरी से जुर्माने से बच सकेंगी।

निष्कर्ष

1 अक्टूबर 2024 से लागू होने वाले नए TDS payment के नियम नियोक्ताओं के लिए एक सकारात्मक कदम हैं। यह न केवल कंपनियों को वित्तीय प्रबंधन में अधिक समय देगा, बल्कि कर्मचारियों के TDS क्रेडिट को भी सुरक्षित करेगा। हालांकि, नियोक्ताओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे निर्धारित समय सीमा के भीतर TDS जमा करें, ताकि किसी भी प्रकार की परेशानी से बचा जा सके।

इससे नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को लाभ होगा, और टैक्स भुगतान की प्रक्रिया अधिक सुचारू और प्रभावी होगी।

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