Afghanistan में महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता पर Taliban द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की एक लंबी श्रृंखला में अब एक नया अध्याय जुड़ गया है। रिपोर्टों के अनुसार, Taliban ने एक नया फरमान जारी किया है, जिसमें महिलाओं को एक-दूसरे की उपस्थिति में ऊंची आवाज में दुआ करने और कुरान पढ़ने की अनुमति नहीं है। Afghanistan में Taliban की सत्ता में वापसी के बाद से महिलाओं पर कई कठोर नियम लागू किए जा रहे हैं, जो उनके अधिकारों को सीमित कर रहे हैं और उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
Taliban के ‘पुण्य मंत्रालय’ के मंत्री खालिद हनाफी ने कहा है कि वयस्क महिलाओं को अपनी आवाज़ को इस हद तक नियंत्रित करना चाहिए कि वह अन्य महिलाओं के कानों तक भी न पहुंचे। उन्होंने कहा, “महिलाओं को अज़ान या तकबीर की आवाज़ में बुलाने की अनुमति नहीं है, तो कैसे संभव है कि वे अन्य किसी चीज़ के लिए अपनी आवाज़ का इस्तेमाल कर सकें?” यह फरमान Taliban के सख्त इस्लामिक कानूनों और परंपराओं के तहत लागू किया गया है, जो Afghanistan में महिलाओं की स्थिति को और भी अधिक मुश्किल बना रहा है।
Afghanistan में महिलाओं की आवाज़ पर प्रतिबंध
Taliban ने Afghanistan में महिलाओं की आवाज़ को ‘अव्राह’ के रूप में वर्गीकृत किया है, जिसका अर्थ है कि इसे ढँकना चाहिए और इसे सार्वजनिक रूप से सुनाई नहीं देना चाहिए। इससे महिलाओं की न केवल धार्मिक गतिविधियों पर असर पड़ा है, बल्कि उनकी सामाजिक और पेशेवर गतिविधियों पर भी भारी प्रतिबंध लगाया गया है। Taliban के इस फरमान के अनुसार, जब एक महिला नमाज़ पढ़ रही हो और कोई दूसरी महिला उसके पास से गुजरे, तो उसे इस प्रकार से पढ़ना चाहिए कि उसकी आवाज़ पास खड़ी महिला को न सुनाई दे।
Afghanistan में Taliban की सत्ता में वापसी के बाद से महिलाओं पर धीरे-धीरे सख्त नियम लागू किए जा रहे हैं। 2021 में सत्ता में आने के बाद से, Taliban ने महिलाओं की शिक्षा, यात्रा, काम और अन्य सामाजिक गतिविधियों में भागीदारी पर गंभीर प्रतिबंध लगाए हैं। इसके अलावा, Afghanistan में स्वास्थ्यकर्मी महिलाओं को भी एक नया फरमान जारी किया गया है, जिसके तहत उन्हें पुरुष साथियों के साथ मिलकर काम करने की अनुमति नहीं है।
महिलाओं पर प्रतिबंधों का बढ़ता दायरा
Taliban के इस नए आदेश ने महिलाओं के अधिकारों के संघर्ष को और भी अधिक मुश्किल बना दिया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, Afghanistan में Taliban द्वारा महिलाओं और लड़कियों की स्वतंत्रता पर लगाए गए प्रतिबंध मानवता के खिलाफ अपराध की श्रेणी में आ सकते हैं। Taliban के इस नए फरमान के बाद महिलाओं को और अधिक नियंत्रण में रखने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे Afghanistan में महिलाओं के लिए स्वाधीनता और मौलिक अधिकारों का संघर्ष और भी जटिल हो गया है।
Afghanistan में Taliban के इस कदम के बाद यह आशंका है कि महिलाओं की आवाज़ को दबाने के लिए अधिक सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। Afghanistan में महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्षरत संगठन लगातार इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सहायता की अपील कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और Afghanistan की स्थिति
Afghanistan में महिलाओं की इस स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें टिकी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन Taliban पर महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने का दबाव बना रहे हैं। Afghanistan में महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है, और इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सहयोग आवश्यक है।
हालांकि, Afghanistan की वर्तमान स्थिति में सुधार लाना एक कठिन कार्य है, क्योंकि Taliban ने देश में अपने कट्टरपंथी इस्लामिक कानूनों को लागू करने की पूरी कोशिश की है। Taliban की सत्ता में रहते हुए महिलाओं की आवाज़ और अधिकारों की उम्मीद कम होती जा रही है, और Afghanistan की महिलाओं के पास अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने के साधन सीमित होते जा रहे हैं।
Afghanistan में Taliban के इस तरह के कठोर नियमों से महिलाओं की स्वतंत्रता पर गहरा असर पड़ रहा है, और उनके लिए हर स्तर पर संघर्ष करना जरूरी हो गया है। Afghanistan में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव और सहयोग की आवश्यकता है, ताकि वे एक समान और स्वतंत्र जीवन जी सकें।
सबसे पहले Latest News in Hindi में पाने के लिये, लाइक करे हमें Facebook पर और फॉलो करे हमें, Twitter और Linkedin पर।