Bibek Debroy, भारत के प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष, 69 वर्ष की आयु में 1 नवंबर 2024 को निधन हो गए। उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से भी नवाजा गया था। डेबरॉय ने भारतीय रेलवे सुधार, कानून सुधार और खेल सिद्धांत जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके योगदान ने भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज को प्रभावित किया। हाल ही में, उन्होंने अपनी पुस्तक “इंकड इन इंडिया” के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
Bibek Debroy का जन्म 25 जनवरी 1955 को शिलांग, मेघालय में हुआ। उनके दादा-दादी बांग्लादेश से भारतीय उपमहाद्वीप में आए थे। उनके पिता ने भारतीय लेखा और लेखा सेवा में शामिल होने के बाद अपने करियर की शुरुआत की। डेबरॉय ने अपने स्कूली शिक्षा रामकृष्ण मिशन विद्यालय, नरेंद्रपुर से शुरू की। इसके बाद, उन्होंने कोलकाता प्रेसिडेंसी कॉलेज और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अध्ययन किया।
डेबरॉय ने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में भी अध्ययन किया। वहां, उन्होंने ब्रिटिश अर्थशास्त्री फ्रैंक हान के तहत काम किया। उन्होंने जनसामान्य संतुलन ढांचे में जानकारी को एकीकृत करने पर कार्य किया। हालांकि, उनके शोध के कारण, उन्हें पीएचडी के बजाय एमएससी की डिग्री हासिल करनी पड़ी।
करियर की शुरुआत
डेबरॉय ने अपने करियर की शुरुआत कई महत्वपूर्ण पदों पर काम करके की। उन्होंने राजीव गांधी अध्ययन संस्थान में निदेशक के रूप में कार्य किया। इसके अलावा, वे वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के सलाहकार भी रहे। डेबरॉय ने विभिन्न विधिक सुधारों की जांच के लिए वित्त मंत्रालय और यूएनडीपी द्वारा स्थापित LARGE परियोजना का भी नेतृत्व किया।
उन्होंने 2006 से 2007 के बीच गरीबों के लिए कानूनी सशक्तिकरण आयोग में रैपोर्ट्यूर के रूप में कार्य किया। डेबरॉय ने कई पुस्तकें और लेख लिखे हैं। वे भारतीय वित्तीय समाचार पत्रों के सलाहकार संपादक भी रहे हैं।
NITI Aayog और आर्थिक सलाहकार परिषद
डेबरॉय को 2015 में NITI Aayog का स्थायी सदस्य नियुक्त किया गया। यह भारत सरकार के लिए एक प्रमुख थिंक टैंक है। उन्होंने 2019 तक इस पद पर कार्य किया। सितंबर 2017 में, उन्हें प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।
इस परिषद ने भारत की आर्थिक नीति को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कई सामयिक आर्थिक विषयों पर अपनी राय व्यक्त की। डेबरॉय ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। उन्होंने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपने विचारों को प्रस्तुत किया।
लेखन और अनुवाद
Bibek Debroy ने कई महत्वपूर्ण ग्रंथों का अनुवाद किया है। उन्होंने महाभारत का अनुवाद 10 खंडों में किया है। इसके अलावा, उन्होंने भगवद गीता, रामायण और पुराणों का भी अनुवाद किया। उनके अनुवाद ने इन प्राचीन ग्रंथों को आधुनिक पाठकों के लिए सुलभ बनाया।
डेबरॉय को उनकी अनुवादित कृतियों के लिए 2023 में पुरस्कार भी मिला। उनके कामों ने भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया। उनके अनुवाद ने युवा पीढ़ी को हमारी प्राचीन सभ्यता से जोड़ने में मदद की।
“इतिहास” और सांस्कृतिक योगदान
Bibek Debroy ने “इतिहास” नामक एक शो भी होस्ट किया। यह शो संसद के आधिकारिक चैनल पर प्रसारित होता था। इस कार्यक्रम ने भारत की सांस्कृतिक धरोहर और उसकी पहचान को उजागर किया। उन्होंने इस कार्यक्रम के माध्यम से भारतीयता के अर्थ को समझाने का प्रयास किया।
डेबरॉय के योगदान ने भारतीय समाज में उनके विचारों और दृष्टिकोण को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने का प्रयास किया।
बिदाई और धरोहर
Bibek Debroy का निधन भारतीय समाज के लिए एक बड़ा क्षति है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने उन्हें एक “विशाल विद्वान” के रूप में वर्णित किया।
डॉ. डेबरॉय ने कई विषयों पर अपना ज्ञान साझा किया। उनके विचारों ने न केवल आर्थिक नीतियों को प्रभावित किया, बल्कि समाज के अन्य क्षेत्रों में भी उनका योगदान रहा।
संक्षेप में, Bibek Debroy का योगदान अनमोल है। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था, संस्कृति और समाज को नई दिशा दी। उनके विचार और कार्य हमें हमेशा प्रेरित करते रहेंगे। उनके कार्यों की गूंज आने वाली पीढ़ियों में सुनाई देगी।
निष्कर्ष
Bibek Debroy ने अपने जीवन में जो भी किया, वह उनकी महानता का प्रतीक है। उनका योगदान न केवल आर्थिक क्षेत्र में, बल्कि साहित्य और संस्कृति में भी महत्वपूर्ण है। उनके विचारों और कार्यों ने भारतीय समाज को समृद्ध किया।
Bibek Debroy की यादें और उनके योगदान हमेशा हमारे साथ रहेंगे। उनके निधन से एक बड़ा शून्य उत्पन्न हुआ है। उनके प्रति हमारी श्रद्धांजलि।
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