Jatt & Juliet 3 Review: ‘जट्ट एंड जूलियट’ सीरीज की तीसरी फिल्म, जट्ट एंड जूलियट 3, ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया है। फिल्म में दिलजीत दोसांझ और नीरू बाजवा की जोड़ी एक बार फिर दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रही है। Jatt & Juliet 3 Review में हम जानेंगे कि कैसे इस फिल्म में कॉमेडी, रोमांस और एंटरटेनमेंट के तड़के के बावजूद कुछ गंभीर समस्याएं छिपी हुई हैं। फिल्म की कहानी, म्यूजिक, और किरदारों की चर्चा करते हुए यह भी देखेंगे कि आखिर क्यों यह फिल्म दर्शकों के बीच इतनी चर्चित है।
Jatt & Juliet 3 फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी फतेह सिंह (दिलजीत दोसांझ) और पूजा (नीरू बाजवा) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो दोनों पुलिस कांस्टेबल हैं। मजेदार मोड़ तब आता है जब फतेह और पूजा की सीनियर और फर्जीवाड़ा करने वाली डेज़ी (जैस्मिन बाजवा) कहानी में एंट्री करती हैं। Jatt & Juliet 3 में यह तिकड़ी लंदन तक जाती है, जहां प्यार, कॉमेडी और धोखे का खेल चलता रहता है।
दिलजीत दोसांझ का जादू
फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी दिलजीत दोसांझ हैं। उनके गानों से लेकर उनके डायलॉग्स तक हर जगह उनका ग्लोबल इमेज दिखता है। हालांकि, फिल्म के निर्माताओं ने दिलजीत की लोकप्रियता को थोड़ा ज्यादा ही गंभीरता से लिया है। फिल्म में कुछ गाने और सीन्स केवल उनके स्टार पावर को भुनाने के लिए ही डाले गए हैं। Jatt & Juliet 3 Review में दिलजीत का एक्स फैक्टर एक महत्वपूर्ण पहलू बनकर उभरता है, लेकिन इसके साथ ही उनकी लोकप्रियता को जरूरत से ज्यादा तवज्जो देने से फिल्म की नैतिकता कहीं पीछे छूट जाती है।
Jatt & Juliet 3 फिल्म में समस्याएं
जहां एक ओर पंजाबी सिनेमा में धीरे-धीरे महिलाओं की सशक्त छवि को पेश किया जा रहा है, वहीं Jatt & Juliet 3 में पुराने ज़माने की सोच को बढ़ावा दिया गया है। फिल्म के कई मज़ाक ऐसे हैं जो महिलाओं के प्रति अपमानजनक हैं। 1990 के दशक और 2000 के शुरुआती दौर की फिल्मों की तरह, इस फिल्म में भी कुछ जोक्स हैं जो अब सामाजिक तौर पर स्वीकार्य नहीं हैं।
Jatt & Juliet 3 इंटरवल के बाद फिल्म का गिरता ग्राफ
Jatt & Juliet 3 का पहला हाफ दर्शकों को सीरीज की पुरानी फिल्मों की याद दिलाता है। फतेह और पूजा के बीच की खट्टी-मीठी नोकझोंक और उनके रोमांस से फिल्म को एनर्जी मिलती है। लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म एक पुरानी बॉलीवुड शैली की तरफ मुड़ जाती है, जिसमें नायक दो महिलाओं के बीच फंसा रहता है।
फिल्म में एक अनावश्यक प्रेम त्रिकोण दिखाया गया है, जहां नायक किसी एक महिला को चुनने में उलझा हुआ है। Jatt & Juliet 3 Review में यह साफ़ नज़र आता है कि कहानी इस हिस्से में धीमी पड़ जाती है और दर्शकों की दिलचस्पी कम होने लगती है।
संगीत की कमी
Jatt & Juliet 3 में दिलजीत दोसांझ के गाने हमेशा की तरह हिट रहे हैं, लेकिन इस फिल्म के ज्यादातर गाने कोई खास छाप नहीं छोड़ते। “जे मैं रब हुंदा” के अलावा बाकी गाने सिर्फ फिल्म की लंबाई बढ़ाने का काम करते हैं। संगीत, जो हमेशा पंजाबी फिल्मों की जान होती है, इस बार फिल्म की कमजोर कड़ी साबित हुआ है।
Jatt & Juliet 3 फिल्म की लंबाई
फिल्म की लंबाई भी एक समस्या है। एक समय के बाद कॉमेडी बोझिल लगने लगती है और कुछ सीन्स ज़रूरत से ज्यादा खिंचे हुए लगते हैं। खासतौर पर क्लाइमेक्स में जब सारी समस्याओं को सुलझाने की कोशिश की जाती है, फिल्म दर्शकों को थका देती है। Jatt & Juliet 3 Review में यह एक महत्वपूर्ण आलोचना के रूप में उभरती है कि फिल्म को थोड़ी एडिटिंग की और ज़रूरत थी।
जगदीप सिद्धू का निर्देशन
जगदीप सिद्धू, जिन्होंने ‘गुड्डियां पटोले’ और ‘शड़ा’ जैसी हिट फिल्में दी हैं, इस बार थोड़े पीछे रह गए हैं। उनके निर्देशन में महिलाओं की छवि और उनके अधिकारों को दिखाने की कोशिश तो की गई है, लेकिन यह फिल्म उन पुराने स्टीरियोटाइप्स की तरफ लौट जाती है, जिनसे पंजाबी सिनेमा अब धीरे-धीरे बाहर निकल रहा था।
निष्कर्ष
अंततः, Jatt & Juliet 3 एक मजेदार एंटरटेनर है, जो दर्शकों को हंसाने में कामयाब होती है। दिलजीत दोसांझ और नीरू बाजवा की केमिस्ट्री अब भी उतनी ही सजीव और आकर्षक है। लेकिन फिल्म में कई समस्याएं भी हैं, खासकर महिलाओं की छवि और पुराने ज़माने के मज़ाक के संदर्भ में।फिर भी, Jatt & Juliet 3 एक ऐसी फिल्म है जो न केवल पंजाबियों बल्कि पूरे भारत के दर्शकों के बीच अपनी जगह बना चुकी है। Jatt & Juliet 3 Review में यह साफ है कि फिल्म की कहानी भले ही पुरानी लगे, लेकिन दिलजीत और नीरू की जोड़ी इसे देखने लायक जरूर बनाती है।