8th November 2024

One Nation One Election: क्या है मतलब और चुनावी प्रक्रिया

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भारत में चुनावी प्रणाली को लेकर एक नया विचार ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का प्रस्ताव किया गया है। इस विचार के तहत पूरे देश में एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे। इस अवधारणा का उद्देश्य चुनावों की लागत को कम करना, प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाना और मतदाता सहभागिता को बढ़ावा देना है। इस लेख में हम जानेंगे कि ‘one nation one election’ का मतलब क्या है और इसके लागू होने से क्या बदलाव आ सकते हैं।

One Nation One Election का अर्थ क्या है?

‘one nation one election’ का सीधा मतलब है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक ही समय पर कराए जाएं। फिलहाल, भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जो या तो पांच साल के कार्यकाल की समाप्ति पर होते हैं या फिर सरकार के गिरने के कारण। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से इस विचार के समर्थक रहे हैं और इसे भारतीय चुनावी प्रक्रिया में सुधार के रूप में देख रहे हैं।

‘One Nation, One Election’ का इतिहास

भारत में एक साथ चुनाव कराने की परंपरा नई नहीं है। 1951-52 में पहले आम चुनावों के दौरान लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए गए थे। यह प्रक्रिया 1967 तक जारी रही, जब कई राज्यों में खंडित जनादेश के कारण विधानसभाएं भंग हो गईं और इस परंपरा को तोड़ दिया गया। इसके बाद, कई बार लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे, जिससे वन नेशन, वन इलेक्शन की अवधारणा धूमिल हो गई।

one nation one election के फायदे

इस विचार के समर्थकों का मानना है कि एक साथ चुनाव कराना कई तरह से फायदेमंद हो सकता है। इसमें प्रमुख लाभ हैं:

  1. चुनावी खर्चों में कमी: एक साथ चुनाव कराने से भारी चुनावी खर्चों में कमी हो सकती है। 2019 के लोकसभा चुनावों में लगभग 60,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जिसमें राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग के खर्च शामिल थे।
  2. प्रशासनिक कुशलता में वृद्धि: बार-बार चुनाव कराने से सरकारी तंत्र का ध्यान बंट जाता है, जिससे नियमित कार्यों में बाधा आती है। एक साथ चुनाव कराने से यह समस्या दूर हो सकती है।
  3. मतदाता सहभागिता में वृद्धि: एक साथ चुनाव होने से मतदाता अधिक संख्या में मतदान करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें बार-बार मतदान के लिए नहीं जाना पड़ेगा।
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‘One Nation One Election’ के विरोध में तर्क

हालांकि इस विचार के कई फायदे हैं, इसके विरोध में भी कई तर्क दिए जाते हैं। कुछ आलोचक मानते हैं कि एक साथ चुनाव कराने से लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है। यहां कुछ प्रमुख आपत्तियां हैं:

  1. स्थानीय मुद्दों की अनदेखी: एक साथ चुनाव कराने से राष्ट्रीय मुद्दों का प्रभुत्व हो सकता है और राज्य स्तर के स्थानीय मुद्दे पीछे छूट सकते हैं।
  2. संवैधानिक चुनौतियां: ‘one nation one election को लागू करने के लिए भारतीय संविधान में कई महत्वपूर्ण संशोधनों की आवश्यकता होगी। इसमें आर्टिकल 83, 85(2)(B), 174(2)(B), 356, और 75(3) जैसे प्रावधानों में संशोधन की जरूरत पड़ेगी।
  3. प्रशासनिक और लॉजिस्टिक चुनौतियां: एक साथ चुनाव कराने के लिए पर्याप्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM), मतदान केंद्र, और सुरक्षा कर्मियों की आवश्यकता होगी, जो एक बड़ी चुनौती है।

अब तक की प्रगति

one nation one election के विचार पर कई आयोगों और समितियों ने चर्चा की है। 22वें कानून आयोग ने 2018 में इस विचार का समर्थन किया था, जबकि 107वीं रिपोर्ट में 1999 में भी इस पर चर्चा की गई थी। चुनाव आयोग ने भी इस विचार को समर्थन दिया है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए आवश्यक संवैधानिक संशोधन और राज्य विधानसभाओं का समर्थन अभी भी एक बड़ी बाधा है।

निष्कर्ष

one nation one election का विचार भारत में चुनावी प्रक्रिया को सरल और कुशल बनाने का एक साहसिक कदम हो सकता है। इसके समर्थकों का मानना है कि इससे न केवल चुनावी खर्चों में कमी आएगी, बल्कि मतदाता सहभागिता में भी वृद्धि होगी। हालांकि, इसके खिलाफ भी कई संवैधानिक और प्रशासनिक चुनौतियां हैं, जिन्हें हल करना आवश्यक होगा।

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