Pope Francis, जिन्हें पूरी दुनिया में करुणा और समानता का प्रतीक माना जाता है, ने हाल ही में अमेरिकी चुनावों के संदर्भ में अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने अमेरिकी कैथोलिक मतदाताओं से ‘छोटी बुराई’ चुनने का आग्रह किया है। Pope Francis ने गर्भपात और प्रवास जैसे मुद्दों पर अपने सख्त विचार रखे और दोनों अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस को “जीवन विरोधी” नीतियों के लिए जिम्मेदार ठहराया।
चुनावी संदर्भ और पोप का बयान
Pope Francis ने अपने बयान में कहा कि कैथोलिक मतदाता अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनें और दोनों उम्मीदवारों में से ‘छोटी बुराई’ चुनें। उन्होंने स्पष्ट किया कि गर्भपात को चर्च हत्या मानता है और जो भी इसे समर्थन देता है, वह “जीवन के खिलाफ” खड़ा है। इसी प्रकार, प्रवासियों के अधिकार को उन्होंने बाइबिल के अनुसार एक अधिकार बताया और कहा कि प्रवासियों का स्वागत न करना एक ‘गंभीर पाप’ है।
गर्भपात पर Pope Francis की दृष्टि
Pope Francis ने गर्भपात को लेकर स्पष्ट रूप से कहा कि यह मानव जीवन की हत्या के बराबर है। उनके अनुसार, गर्भ धारण के एक महीने के भीतर एक मानव शरीर के सभी अंग बनने लगते हैं। इसलिए, गर्भपात को हत्या के रूप में देखा जाना चाहिए। Pope Francis ने अपने बयान में इस मुद्दे पर चर्च की अडिग स्थिति का समर्थन किया और कहा कि चर्च गर्भपात की अनुमति नहीं देता क्योंकि यह एक “हत्या” है।
प्रवासियों के अधिकार और पोप का संदेश
प्रवासियों के अधिकारों पर जोर देते हुए Pope Francis ने कहा कि बाइबिल में इसका उल्लेख है कि प्रवासियों का स्वागत करना एक धार्मिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि जो भी प्रवासियों का स्वागत नहीं करता, वह बाइबिल के सिद्धांतों के खिलाफ जाता है और एक गंभीर पाप करता है। Pope Francis ने यह भी याद किया कि उन्होंने यूएस-मेक्सिको सीमा पर प्रवासियों की दुर्दशा देखी थी और इसे गंभीर चिंता का विषय बताया।
Pope Francis और अमेरिकी चुनाव
Pope Francis ने स्पष्ट किया कि वह अमेरिकी नहीं हैं और वहां के चुनावों में वोट नहीं देंगे, लेकिन उन्होंने कैथोलिक मतदाताओं से अपील की कि वे अपने मताधिकार का प्रयोग करें और ‘छोटी बुराई’ का चुनाव करें। उन्होंने कहा, “आपको वोट देना चाहिए, और ‘छोटी बुराई’ चुननी चाहिए। कौन छोटी बुराई है, वह स्त्री या पुरुष? मैं नहीं जानता।”
Pope Francis और चर्च का रुख
Pope Francis ने 2016 के अमेरिकी चुनावों के दौरान भी अपनी राय व्यक्त की थी, जब उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप की मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने की योजना की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि जो भी प्रवासियों को रोकने के लिए दीवार बनाता है, वह “ईसाई नहीं है”।
पोप फ्रांसिस ने एक बार फिर प्रवासियों के अधिकारों की वकालत की और इसे अपने पोप पद के दौरान एक प्राथमिकता के रूप में रखा है।
गर्भपात और विज्ञान का दृष्टिकोण
विज्ञान के अनुसार, गर्भावस्था के पहले महीने में मानव अंग पूरी तरह से नहीं बनते, लेकिन वे प्रारंभिक विकास प्रक्रिया में होते हैं। हालांकि, Pope Francis का तर्क है कि यह प्रक्रिया जीवन की शुरुआत का संकेत है और इसे समाप्त करना जीवन को समाप्त करने के बराबर है।
कैथोलिक चर्च और पोप की भूमिका
पोप फ्रांसिस ने यह भी कहा कि चर्च के बिशपों को राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए, बल्कि उन्हें ‘पादरी’ के रूप में काम करना चाहिए। उनका मानना है कि चर्च की भूमिका है लोगों की धार्मिक और नैतिक रूप से मार्गदर्शन करना, न कि उन्हें राजनीतिक रूप से प्रभावित करना।
निष्कर्ष
Pope Francis का यह संदेश स्पष्ट है कि वह गर्भपात और प्रवास जैसे मुद्दों पर चर्च की सख्त नीतियों का समर्थन करते हैं, और उन्होंने अमेरिकी कैथोलिक मतदाताओं से अपील की है कि वे ‘छोटी बुराई’ का चुनाव करें। हालांकि उन्होंने ट्रंप या हैरिस का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया, लेकिन उनके बयान ने इन मुद्दों पर चर्च की दिशा को उजागर किया।
पोप फ्रांसिस का यह बयान अमेरिकी चुनावों के दौरान कैथोलिक मतदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण नैतिक मार्गदर्शन का काम कर सकता है।