Rashmi Saluja Religare: 2023 में रश्मि सलूजा और रिलिगेयर एंटरप्राइजेज के कई शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ दायर एक एफआईआर ने भारतीय व्यापार जगत को हिला कर रख दिया। यह मामला डाबर समूह के बर्मन परिवार के सदस्यों पर कथित झूठे आरोपों और धोखाधड़ी के आरोपों से जुड़ा हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रश्मि सलूजा, जो रिलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (REL) की कार्यकारी चेयरपर्सन हैं, और दो अन्य शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
Rashmi Saluja Religare: क्या है पूरा मामला?
इस मामले की जड़ 2023 में दर्ज एक शिकायत में है, जो रिलिगेयर एंटरप्राइजेज के शेयरधारकों को धोखा देने के प्रयासों का आरोप लगाती है। शिकायतकर्ता वैभव गवली ने REL के खिलाफ आरोप लगाया था कि रिलिगेयर एंटरप्राइजेज के प्रमोटरों द्वारा शेयरधारकों को ठगने की कोशिश की गई। इस शिकायत के बाद ED ने 2023 में एक जांच शुरू की और बाद में सितंबर 2024 में एफआईआर दर्ज की।
इस एफआईआर में रश्मि सलूजा के साथ-साथ रिलिगेयर के ग्रुप सीएफओ नितिन अग्रवाल, प्रेसिडेंट और जनरल काउंसिल निशांत सिंघल और अन्य व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया। आरोप भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120B (आपराधिक साजिश) के तहत लगाए गए हैं।
ED की छापेमारी और अन्य घटनाक्रम
इस मामले में ED द्वारा 21 अगस्त, 2024 को रिलिगेयर एंटरप्राइजेज के प्रमुख अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की गई। जिन अधिकारियों पर छापेमारी की गई, उनमें रश्मि सलूजा, नितिन अग्रवाल और निशांत सिंघल प्रमुख थे। इसके अलावा, REL की सहायक कंपनी रिलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के मुख्य संचालन अधिकारी (COO) चिराग जैन के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई।
रिलिगेयर एंटरप्राइजेज ने इस छापेमारी के बारे में एक नियामक फाइलिंग में जानकारी दी, जिसमें कहा गया कि कंपनी के मुख्य प्रबंधन कर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों के ठिकानों पर छापे मारे गए हैं। यह छापेमारी उस एफआईआर के बाद हुई है, जिसमें REL के प्रमोटरों और डाबर समूह के बर्मन परिवार के सदस्यों को आरोपी बनाया गया है।
FIR में कौन-कौन हैं आरोपी?
एफआईआर में कुल 14 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें REL के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह और मलविंदर मोहन सिंह भी शामिल हैं। इसके अलावा, डाबर समूह के चार अधिग्रहणकर्ता कंपनियों के प्रतिनिधियों का भी नाम है, जिन्होंने रिलिगेयर के शेयरधारकों को ओपन ऑफर दिया था। इन कंपनियों में एमबी फिनमार्ट प्राइवेट लिमिटेड, पुराण एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड, वीआईसी एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और मिल्की इन्वेस्टमेंट एंड ट्रेडिंग कंपनी शामिल हैं।
डाबर समूह के बर्मन परिवार के सदस्य, जिनमें मोहित बर्मन, विवेक चंद बर्मन, मोनिका बर्मन, आनंदचंद बर्मन, मिनी मुरमन और आदित्यचंद बर्मन शामिल हैं, उन्हें भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है। इसके साथ ही अभय कुमार अग्रवाल, जो इन अधिग्रहणकर्ता कंपनियों से जुड़े हैं, और जेएम फाइनेंशियल लिमिटेड (ओपन ऑफर का प्रबंधक) का भी नाम एफआईआर में शामिल है।
धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप
इस एफआईआर के अनुसार, आरोपियों पर धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए हैं। IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120B (आपराधिक साजिश), 511 (अपराध का प्रयास) और 114 (सहायता करने वाले अपराधी) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। इस मामले में आरोप है कि आरोपियों ने रिलिगेयर एंटरप्राइजेज के शेयरधारकों और शिकायतकर्ता वैभव गवली को धोखा देने का प्रयास किया था।
रिलिगेयर विवाद और डाबर समूह की भूमिका
इस विवाद में डाबर समूह के बर्मन परिवार की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। हालांकि डाबर समूह ने इन आरोपों से इनकार किया है, लेकिन ED की जांच जारी है। रश्मि सलूजा और अन्य आरोपी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज इस एफआईआर से रिलिगेयर एंटरप्राइजेज और डाबर समूह दोनों के भविष्य पर गहरा असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष – Rashmi Saluja Religare
रश्मि सलूजा और रिलिगेयर एंटरप्राइजेज के खिलाफ दायर यह मामला भारत के व्यापार जगत में एक महत्वपूर्ण घटना है। धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोपों के कारण यह मामला और भी पेचीदा हो गया है। अब देखना यह होगा कि ED की जांच और इस मामले का आगे का परिणाम क्या होता है।