Soodhu Kavvum 2 Review: 2024 में फिल्मों की दुनिया सीक्वल्स और फ्रेंचाइज़ी से भरी हुई है। इसी कड़ी में आई है Soodhu Kavvum 2, जो एक प्रीक्वल, स्टैंडअलोन और सीक्वल तीनों के रूप में प्रस्तुत की गई है। हालांकि, यह कोशिश जितनी अनोखी लगती है, इसका परिणाम उतना ही निराशाजनक है। निर्देशक एसजे अर्जुन ने फिल्म को एक राजनीतिक व्यंग्य के रूप में पेश किया है, लेकिन कमजोर लेखन और बिना सिर-पैर के किरदारों ने इसे औसत दर्जे का बना दिया।
Soodhu Kavvum 2 फिल्म की कहानी
फिल्म की शुरुआत तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनने की राधा रवि की कहानी से होती है। इसके बाद कहानी पुराने समय में जाती है, जब गुरु (शिवा) ने ‘किडनैपिंग’ का नया तरीका ईजाद किया था। गुरु का किरदार दास (पहली फिल्म के मुख्य किरदार) से जोड़ने के लिए अरुल दोस के ‘रोडी डॉक्टर’ का उपयोग किया गया है। वहीं, अरुमई प्रगासम (करुणाकरण) की खुद को अगवा करने की कहानी दोनों फिल्मों को जोड़ती है। लेकिन यह सब इतना उलझा हुआ और अविश्वसनीय है कि कहानी शुरू होने से पहले ही लड़खड़ाने लगती है।
मुख्य समस्या: मूल की छवि को नुकसान
Soodhu Kavvum 2 की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह अपनी पहली फिल्म की छाया से बाहर नहीं निकल पाई। कई दृश्य पहली फिल्म से सीधे उठाए गए हैं, जो मूल फिल्म की याद तो दिलाते हैं, लेकिन नई फिल्म को कमजोर भी बनाते हैं। फिल्म की संरचना और दृश्यक्रम मूल फिल्म की नकल जैसे लगते हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि इसे सीक्वल क्यों कहा जाए, जब यह सिर्फ एक कमजोर रीमेक जैसा महसूस होता है।
किरदार और अभिनय
फिल्म में शिवा और करुणाकरण जैसे प्रतिभाशाली कलाकार हैं, लेकिन कमजोर लेखन ने उनके प्रदर्शन को सीमित कर दिया है। शिवा के किडनैपिंग सीन और उनके हास्य भरे अंदाज कुछ हद तक मनोरंजक हैं, लेकिन ऐसे दृश्यों की संख्या कम है। वहीं, गुरु के किरदार में उनके शराब पीने से सांप देखने का एंगल दिलचस्प था, लेकिन इसे गहराई से नहीं दिखाया गया।
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और गाने मूल फिल्म से प्रेरित हैं, लेकिन यह तुलना ही फिल्म के लिए भारी पड़ती है। संतोष नारायणन के उत्कृष्ट संगीत की जगह एडविन लुइस विस्वनाथ का औसत दर्जे का काम दर्शकों को निराश करता है।
फिल्म एक राजनीतिक व्यंग्य है, जो ‘फ्रीबीज’ यानी मुफ्त उपहारों की राजनीति को निशाना बनाती है। हालांकि, यह संदेश अच्छी तरह से नहीं पहुंच पाता और कई बार यह पुरानी बातें दोहराने जैसा लगता है।
निष्कर्ष
2013 में आई Soodhu Kavvum ने तमिल सिनेमा में क्रांति ला दी थी। लेकिन, Soodhu Kavvum 2 उस छवि को बरकरार रखने में नाकाम रही। जहां पहली फिल्म ने अपने अनोखे अंदाज और मजबूत कहानी से दर्शकों का दिल जीता था, वहीं सीक्वल एक कमजोर नकल जैसा महसूस होता है।
Soodhu Kavvum 2 Review पढ़कर यह स्पष्ट हो जाता है कि हर फिल्म का सीक्वल बनाना जरूरी नहीं है। अगर आप पुरानी फिल्म की यादों को ताजा करना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप पहली फिल्म को फिर से देखें।
फिल्म की रेटिंग: ⭐️1.5/5
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