Ratan Tata के अनसुने किस्से: Ratan Tata, जिन्हें आज टाटा ग्रुप के वैश्विक विकास के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, ने 1991 में अपने चाचा जेआरडी टाटा से टाटा ग्रुप की कमान संभाली। यह वह क्षण था जिसने टाटा ग्रुप को घरेलू बिजनेस से एक वैश्विक शक्ति बना दिया। लेकिन, Ratan Tata का उत्तराधिकारी बनना उतना सरल नहीं था जितना यह आज दिखता है। यह कहानी उन महत्वपूर्ण क्षणों की है जब JRD Tata ने रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी चुना।
JRD Tata का टाटा ग्रुप के प्रति योगदान
JRD Tata, जिन्हें टाटा ग्रुप का विस्तारक कहा जाता है, ने कंपनी को एक बड़ी ऊंचाई पर पहुँचाया था। उन्होंने टाटा समूह को विभिन्न उद्योगों में स्थापित किया और भारतीय उद्योगों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। जब JRD Tata की तबियत खराब हुई और उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब उन्होंने यह निर्णय लिया कि अब टाटा समूह की बागडोर नए हाथों में सौंपनी चाहिए।
Ratan Tata का सफर
Ratan Tata 1970 के दशक में टाटा समूह से जुड़े थे। उस समय उन्होंने विभिन्न पदों पर काम किया लेकिन उन्हें कभी यह उम्मीद नहीं थी कि वे JRD Tata के उत्तराधिकारी बनेंगे। रतन टाटा का कहना था कि JRD के कई करीबी लोग थे जो उनकी जगह ले सकते थे। लेकिन, JRD Tata ने अपनी बीमारी के बाद एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया।
‘मेरी जगह तुम संभालो’
जब JRD Tata अस्पताल से डिस्चार्ज हुए, उन्होंने Ratan Tata को अपने ऑफिस में बुलाया। उस मुलाकात में JRD ने कहा, “मैंने सोचा है कि अब तुम्हें मेरी जगह लेनी चाहिए।” इस कथन ने रतन टाटा को चौंका दिया। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि JRD उन्हें यह जिम्मेदारी देंगे। JRD Tata ने रतन को बताया कि वह अब कंपनी की कमान उन्हें सौंपने का फैसला कर चुके हैं।
Ratan Tata की प्रतिक्रिया
हालांकि JRD Tata ने Ratan Tata को अपनी जगह लेने के लिए कहा, लेकिन Ratan Tata ने तुरंत इस पद को नहीं अपनाया। उन्होंने JRD के ऑफिस में बैठने से मना कर दिया। जब JRD Tata ने उनसे पूछा कि अब वह कहां बैठेंगे, तो रतन टाटा ने उत्तर दिया, “जहां मैं अभी हूँ। मेरा ऑफिस नीचे है और वही मेरे लिए ठीक रहेगा।” यह उनका अपने गुरु और चाचा JRD Tata के प्रति आदर का प्रतीक था।
JRD Tata के बाद का दौर
25 मार्च 1991 को, टाटा ग्रुप की बोर्ड मीटिंग में JRD Tata ने Ratan Tata का नाम नए चेयरमैन के रूप में प्रस्तावित किया। यह वह पल था जिसने टाटा ग्रुप के भविष्य को बदल दिया। JRD के नेतृत्व में कंपनी ने जहाँ विकास किया था, रतन टाटा ने उस विरासत को और भी ऊँचाई तक पहुँचाया।
Ratan Tata का टाटा ग्रुप में योगदान
Ratan Tata ने टाटा ग्रुप की बागडोर संभालने के बाद कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। उन्होंने पुराने नेतृत्व में बदलाव किया और कंपनी को एक नई दिशा दी। रुसी मोदी, दरबारी सेठ और अजीत केलकर जैसे पुराने नेताओं को हटाकर उन्होंने नई पीढ़ी को नेतृत्व में लाया। Ratan Tata के नेतृत्व में टाटा ग्रुप न केवल भारतीय बाजार में बल्कि वैश्विक बाजार में भी अपनी पहचान बनाने में सफल हुआ। आज टाटा ग्रुप की कीमत लगभग 403 बिलियन डॉलर (लगभग 33.7 ट्रिलियन रुपये) है, जो रतन टाटा की दूरदर्शिता और नेतृत्व का परिणाम है।
JRD Tata की विरासत
JRD Tata की मृत्यु 1993 में स्विट्जरलैंड के जिनेवा में हुई। उनका योगदान भारतीय उद्योग जगत में अविस्मरणीय रहेगा। उन्होंने टाटा ग्रुप को जिस ऊंचाई पर पहुँचाया, Ratan Tata ने उस विरासत को और आगे बढ़ाया। JRD और रतन टाटा की यह अनसुनी कहानी हमें सिखाती है कि कैसे एक अच्छा नेतृत्व अपने उत्तराधिकारी का सही चयन करके अपनी विरासत को जीवंत रख सकता है।
निष्कर्ष
JRD Tata और Ratan Tata की कहानी केवल व्यवसाय की नहीं, बल्कि आदर, विश्वास और नेतृत्व की कहानी है। JRD Tata ने जिस आत्मविश्वास और विश्वास के साथ रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी चुना, वह एक प्रेरणादायक कदम था। रतन टाटा ने भी अपने चाचा के सम्मान और उनके द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी को बखूबी निभाया।
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