Umar Khalid, जो कभी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र नेता थे, पिछले चार साल से तिहाड़ जेल में बंद हैं। उनकी गिरफ्तारी 2020 में UAPA के तहत की गई थी, जिसमें उन्हें दिल्ली के दंगों का ‘मुख्य साजिशकर्ता’ बताया गया था। उमर खालिद का मामला (Umar Khalid case) पिछले कई वर्षों से कानूनी प्रक्रिया में अटका हुआ है, और उन्होंने अब तक जमानत (Umar Khalid bail) नहीं पाई है।
Umar Khalid कौन हैं?
Umar Khalid JNU के एक पूर्व छात्र नेता हैं, जो 2013 में कश्मीरी व्यक्ति की फांसी के खिलाफ JNU में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद सुर्खियों में आए थे। उन पर और चार अन्य साथियों पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया था। हालांकि, यह पहली बार नहीं था जब उमर खालिद कानूनी मुसीबतों में फंसे थे। इससे पहले भी उन पर दो मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से एक मामला खारिज हो चुका है।
Umar Khalid का वर्तमान मामला
सितंबर 2020 में Umar Khalid को फिर से गिरफ्तार किया गया, इस बार UAPA के तहत। उन पर आरोप था कि वे फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के ‘मुख्य साजिशकर्ता’ थे, जिनमें 53 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे। ये दंगे नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के बाद भड़के थे। उमर खालिद का कहना है कि उन्होंने केवल शांतिपूर्ण विरोध में हिस्सा लिया था, और वे आरोपों को खारिज करते हैं।
कानूनी प्रक्रिया में देरी
उमर खालिद के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ पुलिस का केस कमजोर है। हालांकि, इस मामले में कई बार सुनवाई की तारीखें बदल चुकी हैं, और खालिद अब भी बिना जमानत जेल में हैं। अब तक, उन्हें दो बार जमानत (Umar Khalid bail) के लिए अर्जी दी गई, लेकिन दोनों बार खारिज कर दी गई।
जेल में उमर खालिद की दिनचर्या
जेल में उमर खालिद अपना समय किताबें पढ़ने, अन्य कैदियों के लिए आवेदन लिखने और क्रिकेट देखने में बिताते हैं। उन्होंने जेल में अपने अनुभवों पर एक डायरी लिखना भी शुरू किया है, जो जल्द ही एक किताब के रूप में प्रकाशित हो सकती है। खालिद की साथी, बानो ज्योत्सना लाहिरी, ने हाल ही में उनके लिए छह नई किताबें पहुंचाई, जिनमें ‘Prophet Song’ और ‘Sophie’s Choice’ जैसी किताबें शामिल थीं।
परिवार और दोस्तों से मुलाकात
खालिद को हर सप्ताह अपने परिवार के साथ 20 मिनट की वीडियो कॉल की अनुमति दी जाती है, जबकि दोस्तों को उन्हें 30 मिनट के लिए जेल में मिलने की इजाजत होती है। उन्हें उनकी बहन की शादी में शामिल होने के लिए एक हफ्ते की अस्थायी जमानत (Umar Khalid bail) भी दी गई थी, जो उनके लिए एक छोटा सा राहत का समय था।
Umar Khalid और उनके साथी कैदी
उमर खालिद को दिन के समय अपने वार्ड से बाहर निकलने की अनुमति होती है, जहां वे अन्य गंभीर अपराधियों के साथ समय बिताते हैं। वे अक्सर अपनी साथी से सवाल करते हैं, “मैं यहां इन लोगों के साथ क्यों हूं?” उमर का यह सवाल इस बात की ओर इशारा करता है कि वे अपने खिलाफ लगे आरोपों से असंतुष्ट हैं और खुद को निर्दोष मानते हैं।
नतीजा और भविष्य
उमर खालिद का मामला इस बात को उजागर करता है कि कैसे UAPA के तहत आरोपित व्यक्तियों को लंबे समय तक बिना ट्रायल जेल में रहना पड़ता है। उनके केस की सुनवाई में हो रही देरी और बार-बार जमानत (Umar Khalid bail) खारिज होने से यह मामला और जटिल होता जा रहा है। अब देखना यह है कि जनवरी 24 को होने वाली अगली सुनवाई में क्या नया मोड़ आता है।