Iran Supreme leader Khamenei: हाल ही में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ एक विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने अपने पोस्ट में भारतीय मुसलमानों की तुलना गाज़ा और म्यांमार में हो रहे उत्पीड़न से की। अयातुल्ला अली खामेनेई के इस बयान ने एक बार फिर भारत में मुसलमानों की स्थिति को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा शुरू कर दी है।
भारत में मुसलमानों की स्थिति पर खामेनेई का बयान
Iran Supreme Leader अयातुल्ला अली खामेनेई ने अपने बयान में कहा कि इस्लाम के दुश्मन हमें हमारी इस्लामी पहचान से दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। उनके अनुसार, यदि हम म्यांमार, गाज़ा और भारत के मुसलमानों की पीड़ा से अनभिज्ञ रहते हैं, तो हम मुसलमान नहीं कहलाने लायक हैं। यह बयान न केवल भारत को एक इस्लाम विरोधी देश के रूप में प्रस्तुत करता है, बल्कि भारत के मुसलमानों की सुरक्षा पर भी सवाल उठाता है।
भारत में मुस्लिम जनसंख्या और उनके अधिकार
यह कहना कि भारत में मुसलमानों का उत्पीड़न हो रहा है, एक भ्रामक दावा है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश है जहां मुस्लिम जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। दुनिया में हर दसवां मुस्लिम भारत में रहता है, जो ईरान की कुल जनसंख्या से भी दोगुनी है। ayatollah ali khamenei के इस दावे को खारिज करने के लिए भारत में मुस्लिमों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को देखना पर्याप्त है। शिक्षा से लेकर धार्मिक स्वतंत्रता तक, भारत में मुसलमानों को समान अधिकार प्राप्त हैं।
ईरान का स्वयं का रिकॉर्ड
Iran Supreme Leader अयातुल्ला अली खामेनेई के भारत के खिलाफ इस बयान को देखकर ईरान के अपने रिकॉर्ड पर नजर डालना भी जरूरी है। ईरान एक धार्मिक राज्य है, जहां गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक अक्सर उत्पीड़न का शिकार होते हैं। महिलाओं के अधिकार, बोलने की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के हनन की बात करें तो ईरान का रिकॉर्ड निराशाजनक है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान में पिछले एक साल में 400 से अधिक लोगों को फांसी दी गई, जिनमें दर्जनों महिलाएं भी शामिल थीं।
उइगर मुसलमानों पर खामोशी
जब Iran Supreme Leader Khamenei भारत में मुसलमानों के अधिकारों की बात करते हैं, तब वे चीन के उइगर मुसलमानों पर चुप्पी साधे रहते हैं। चीन के शिनजियांग में उइगर मुसलमानों के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न पर खामेनेई की चुप्पी सवाल खड़े करती है। अनुमान के अनुसार, लाखों उइगर मुसलमानों को “पुन: शिक्षा” शिविरों में बंद किया गया है, जहां उनका धर्म छीन लिया जाता है। बावजूद इसके, खामेनेई जैसे नेता इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहते, शायद चीन से बदला लेने के डर से।
भारत का जवाब
ayatollah ali khamenei के बयान के बाद, भारत के विदेश मंत्रालय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरान को पहले अपने रिकॉर्ड पर ध्यान देना चाहिए, इससे पहले कि वे दूसरों पर टिप्पणी करें। भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर दिए गए इस बयान को विदेश मंत्रालय ने “अस्वीकार्य और भ्रामक” बताया।
निष्कर्ष
ayatollah ali khamenei के इस बयान को भारत में हल्के में नहीं लिया गया। ईरान के इस बयान के पीछे राजनीतिक और कूटनीतिक कारण हो सकते हैं, जहां भारत जैसे लोकतांत्रिक देश पर निशाना साधना आसान होता है, जबकि चीन जैसे शक्तिशाली देश से टकराने का जोखिम कोई नहीं लेना चाहता।
भारत को यह स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि वह किसी भी देश के लिए “सॉफ्ट टारगेट” नहीं है। विशेष रूप से उन देशों के लिए जो अपने इस्लामी पहचान को मजबूती से स्थापित करने के लिए भारत को निशाना बनाते हैं।