Arvind Kejriwal Resignation: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा हाल ही में सामने आया है, जिसके बाद से राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। केजरीवाल ने घोषणा की है कि वह अगले 48 घंटों में इस्तीफा देंगे और फिर से मुख्यमंत्री बनने के लिए जनता का समर्थन चाहते हैं। यह कदम तब उठाया गया जब उन्हें शराब नीति मामले में जेल से जमानत मिली थी। उन्होंने यह भी कहा कि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में तभी वापस आएंगे जब लोग उन्हें ईमानदारी का प्रमाणपत्र देंगे।
केजरीवाल की ईमानदारी पर सवाल
केजरीवाल की ईमानदारी पर पहले से ही कई सवाल उठे हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता अजय माकन ने आरोप लगाया कि Arvind Kejriwal ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के सरकारी आवास की मरम्मत पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। कांग्रेस का दावा है कि इस मरम्मत पर कुल 171 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि केजरीवाल सरकार का कहना है कि खर्च सिर्फ 45 करोड़ रुपये था।
बीजेपी ने भी केजरीवाल की आलोचना करते हुए कहा है कि उनके इस्तीफे का फैसला केवल एक राजनीतिक ड्रामा है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि Arvind Kejriwal का इस्तीफा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि उन्हें जनता की परवाह है, बल्कि इसलिए हुआ क्योंकि कोर्ट ने उन्हें शराब नीति घोटाले में सशर्त जमानत दी है।
Arvind Kejriwal Resignation: विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने केजरीवाल के इस्तीफे को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। दिल्ली बीजेपी प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली की सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। उनका कहना है कि केजरीवाल को पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था, खासकर जब वह जेल में थे। उन्होंने कहा, “केजरीवाल अब यह दावा कर रहे हैं कि जनता उनकी ईमानदारी का प्रमाण पत्र देगी, लेकिन पिछले चुनावों में लोगों ने पहले ही अपना फैसला सुना दिया था।”
आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने Arvind Kejriwal के resignation का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को जनता पर भरोसा है और वह हमेशा से जोखिम उठाने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने केजरीवाल के पुराने दिनों का जिक्र किया जब उन्होंने इनकम टैक्स विभाग की नौकरी छोड़ दी थी और दिल्ली की झुग्गियों में काम करना शुरू किया था।
आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने भी केजरीवाल के फैसले का समर्थन किया और कहा कि केजरीवाल का सबसे बड़ा गुण उनकी ईमानदारी है। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल ने कभी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया और अब जब उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं, तो उन्हें बहुत दुख हुआ है।”
केजरीवाल की भावी रणनीति
Arvind Kejriwal ने यह भी घोषणा की है कि वह तब तक मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे जब तक लोग उन्हें ईमानदार साबित नहीं करते। इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि दिल्ली में चुनाव नवंबर में महाराष्ट्र के साथ कराए जाएं। उन्होंने अपने इस्तीफे के बारे में कहा कि वह 48 घंटों में इसे औपचारिक रूप देंगे और तब तक आम आदमी पार्टी के अन्य नेता मुख्यमंत्री की भूमिका संभालेंगे।
निष्कर्ष
Arvind Kejriwal का इस्तीफा दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। उनके इस्तीफे पर विपक्षी पार्टियों की तीखी प्रतिक्रियाएँ आई हैं, जबकि आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इसे जनता के प्रति केजरीवाल के समर्पण का प्रतीक बताया है। अब यह देखना होगा कि केजरीवाल का यह कदम आगामी चुनावों में किस प्रकार का प्रभाव डालता है और जनता किस तरह से इस पर प्रतिक्रिया देती है।