Bandish Bandits Season 2 वहीं से शुरू होती है जहां इसका पहला सीजन समाप्त हुआ था। राधे (ऋत्विक भौमिक) अपने नए खिताब ‘संगीत सम्राट’ के दबाव और अपने दादा पंडित राधेमोहन राठौर (नसीरुद्दीन शाह) के निधन से जूझ रहा है। इस बीच राठौर परिवार को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ता है। एक अनाम किताब में पंडितजी पर मोहिनी (शीबा चड्ढा) की आवाज को दबाने का आरोप लगाया जाता है, जिससे उनके घराने की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़ा हो जाता है।
वहीं, तमन्ना (श्रेय चौधरी) खुद की पहचान खोजने के लिए एक संगीत स्कूल का रुख करती है। राधे और तमन्ना की राहें फिर एक संगीत प्रतियोगिता में मिलती हैं, लेकिन इस बार कहानी में क्लासिकल संगीत की आत्मा कहीं खो जाती है।
क्लासिकल संगीत से दूरी
पहला सीजन जहां शास्त्रीय संगीत और उसकी समृद्ध परंपराओं का जश्न था, वहीं Bandish Bandits Season 2 में मेलोड्रामा और आधुनिक संगीत के चलन ने उस जादू को फीका कर दिया। जोधपुर की पुरानी खूबसूरती और संगीत की आत्मा, जो पहले सीजन की पहचान थी, अब नदारद लगती है।
![bandish bandits season 2 review](https://newsguru24.in/wp-content/uploads/2024/12/bandish-bandits-season-2-review-2-1024x576.webp)
कहानी जोधपुर और कसोल के बीच बंटी हुई है, लेकिन दोनों स्थानों को जोड़ने की कोशिश असफल लगती है। खासकर शुरुआत के एपिसोड इतने धीमे हैं कि दर्शकों का ध्यान बांधे रखना मुश्किल हो जाता है।
संगीत का मिश्रित अनुभव
इस सीजन का संगीत शो की आत्मा होने के बजाय कमजोर कड़ी बन गया है। राधे, मोहिनी और दिग्विजय (अतुल कुलकर्णी) के शास्त्रीय प्रदर्शन शानदार हैं, लेकिन तमन्ना के कॉलेज के दृश्य, जिसमें संगीत कक्षाएं और बैंड प्रैक्टिस दिखाए गए हैं, अनावश्यक रूप से खिंचते हैं। इससे यह शो पूरी तरह अलग कहानी का हिस्सा लगता है।
जो दर्शक पहले सीजन की जोधपुर की पुरानी दुनिया के आकर्षण को पसंद करते थे, वे इस बदलाव से निराश हो सकते हैं।
अदाकारी का दमदार प्रदर्शन
हालांकि कहानी में कई खामियां हैं, लेकिन कलाकारों का प्रदर्शन शो की सबसे बड़ी ताकत है। ऋत्विक भौमिक ने राधे के किरदार को इतना जीवंत बना दिया है कि यह महसूस होता है कि वह सच में एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायक हैं। श्रेय चौधरी और ऋत्विक की केमिस्ट्री अभी भी कमाल की है।
शीबा चड्ढा (मोहिनी) ने इस सीजन में अपने विस्तारित किरदार में शानदार प्रदर्शन किया है। अतुल कुलकर्णी ने दिग्विजय के दर्द और गुस्से को बखूबी पेश किया है। तमन्ना की संगीत शिक्षिका के रूप में दिव्या दत्ता ने भी बेहतरीन काम किया है।
हालांकि, अमित मिस्त्री के स्थान पर सौरभ नैयर का प्रदर्शन उतना प्रभावी नहीं है, जिससे शो में एक बड़ा खालीपन महसूस होता है।
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कहानी और गति की कमजोरी
इस सीजन का सबसे बड़ा नुकसान इसकी धीमी गति और कमजोर स्क्रिप्ट है। शुरुआत के एपिसोड इतने धीमे हैं कि दर्शकों का धैर्य टूटने लगता है। कहानी मध्यांतर तक थोड़ी गति पकड़ती है, लेकिन शुरुआती नुकसान की भरपाई नहीं कर पाती।
म्यूजिक प्रतियोगिताओं और हाई-स्टेक ड्रामा पर अधिक फोकस इसे कई बार एक किशोरों के म्यूजिक शो जैसा महसूस कराता है।
निष्कर्ष
Bandish Bandits Season 2 पहले सीजन की लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश लगती है, लेकिन इसमें वही आत्मा नहीं है जिसने इसे खास बनाया था। अदाकारी भले ही शीर्ष स्तर की हो, लेकिन कमजोर और उलझी हुई कहानी इस सीजन को निराशाजनक बनाती है।
यदि आप पहले सीजन के शास्त्रीय संगीत के जादू और जोधपुर की पुरानी दुनिया के आकर्षण के फैन हैं, तो यह सीजन आपको वैसा अनुभव देने में असफल रहेगा।
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